हरिहर झा

अक्टूबर 3, 2023

शोक में, उल्लास में

Filed under: अनुभूति,गीत — by Harihar Jha हरिहर झा @ 7:59 अपराह्न
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शोक में, उल्लास में
दो बूँद आँसू झिलमिलाये
देखकर प्यासे सुमन पगला गये और खिलखिलाये

साज़िश थी इक
सूर्य को बन्दी बनाने के लिये
जंजीर में की कैद किरणें
तमस लाने के लिये
नादान मेंढक हुये आगे,
राह इंगित कर रहे
कोशिशों में जूगनुओं ने
चमक़ दी और पर हिलाये
देखकर नन्हे शिशु पगला गये और खिलखिलाये

बाद्लों के पार
बेचैनी भरी मदहोश चितवन
देख सुन्दर सृष्टि को ना
रोक पाई दिल की धड़कन
भाव व्याकुल हो तड़ित-सा
काँप जाता तन बदन
मधुर आमन्त्रण दिये,
निशब्द होठों को हिलाये
देखकर रूठे सनम पगला गये और खिलखिलाये

नृत्य काली रात में था
शरारत के मोड़ पर
सुर बिखरता, फैल जाता
ताल लय को तोड़ कर
छू गया अंतस
प्रणय का गीत मुखरित हो उठा
थम गई साँसे उलझ कर
जाम लब से यों पिलाये
देखकर प्यासे चषक पगला गये और खिलखिलाये

Your Look

शोक में, उल्लास में
दो बूँद आँसू झिलमिलाये
देखकर प्यासे सुमन पगला गये और खिलखिलाये

साज़िश थी इक
सूर्य को बन्दी बनाने के लिये
जंजीर में की कैद किरणें
तमस लाने के लिये
नादान मेंढक हुये आगे,
राह इंगित कर रहे
कोशिशों में जूगनुओं ने
चमक़ दी और पर हिलाये
देखकर नन्हे शिशु पगला गये और खिलखिलाये

बाद्लों के पार
बेचैनी भरी मदहोश चितवन
देख सुन्दर सृष्टि को ना
रोक पाई दिल की धड़कन
भाव व्याकुल हो तड़ित-सा
काँप जाता तन बदन
मधुर आमन्त्रण दिये,
निशब्द होठों को हिलाये
देखकर रूठे सनम पगला गये और खिलखिलाये

नृत्य काली रात में था
शरारत के मोड़ पर
सुर बिखरता, फैल जाता
ताल लय को तोड़ कर
छू गया अंतस
प्रणय का गीत मुखरित हो उठा
थम गई साँसे उलझ कर
जाम लब से यों पिलाये
देखकर प्यासे चषक पगला गये और खिलखिलाये

http://www.anubhuti-hindi.org/sankalan/varshamangal/2020/harihar_jha.htm

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