यौवन के घनेरे बालों की खुशबू
तिस पर ऐसा मोहक अनुरोध
अनमोल है यह पल
इस निराले उन्माद में
यह रूठना मनाना
नाजुक कलाई से उभरता प्यार
कल भले ही मरघट की
सीढ़ियों पर चढ़ कर
गुमनाम हो जाय
उल्का की तरह चमक कर
विलुप्त हो जाय
न जाने कब धूल-धुसरित कर दें
काल के धागों में गुंथे अलगाव;
कला से ढांपे हुये जिस्म
रूह को बाजारी बना दें
गुणवत्ता के मापतोल
दूकानों पर मिलते कमिशन
लचीली शर्तें
मोहक विज्ञापन के जादू
बाजार-भाव के एहसास
लाभ की
मनोवृत्ति से उफनती आँच
न जाने कब
इस क्षण के घरौंदे को
लपेट कर
सब कुछ निगल जाय !
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Your Look!
http://hariharjha.wordpress.com/2009/01/21/your-look/
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