अंतरिक्ष से ग्रह-मंडल रंग यहाँ लाते
होली का उल्लास लिए गीत मधुर गाते
टिमटिम नयन शुक्र शनि के
हँसी-ठिठोली ऐसे
गुरू-गंभीर नजर पड़ी
होंश ठिकाने वैसे
धरणी का मुख लाल हुआ लज्जा के नाते
छींटे बनते इंद्रधनुष
छेड़े सबको काहे
यहाँ हबा में मदहोंशी
पिचकारी सी बाहें
बौछारें करते छोरे मंद हँसी पाते
नभ में लीला कान्हा की
निहारिका सुध खोती
भू पर तारे नृत्य करें
चमके उल्का-मोती
गगन गूँजता मुरली से रसमय सुर भाते
https://www.anubhuti-hindi.org/sankalan/holi/2023/geet/harihar_jha.htm
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