हरिहर झा

जनवरी 2, 2022

साहित्य घटिया लिख दिया

Filed under: Uncategorized — by Harihar Jha हरिहर झा @ 8:26 पूर्वाह्न
Tags:

गप्प लिख दी
मस्ती में, स्याही काली ही तो है
आँख खोली
तो दिखा यह भूत है, भविष्य है।

हीरो बन कर काटता,
नार अबला को चिकोटी
मैं विधाता,
लफंगे को बनाता सेलिब्रिटी
मन बहल जाये,
दिखाता गुंडों का नाच नंगा
हर्ज क्या?
कल्पना में, खून की बहती है गंगा
टकराव घातक किये,
थे जो, आकृति धारण किये
आँख खोली तो दिखा
यह इंसान है, मनुष्य है।

नेता अभिनेता के नखरे
रहें मेरी दृष्टि में
अँधे बधिर अपंग
इक कोने में मेरी सृष्टि में
जाम साक़ी से पिलाये
चषक भर भर पाठकों को
छीन कर के कौर रूखे,
वंचित किये हज़ारों को
निवालों का ढेर कचरा
फेंक कूड़ेदान में
आँख खोली तब दिखा
यह पवित्र है, हविष्य है|

मनोरंजन हो,
न कोई बोर हो मेरी कृति में
दाद-खाज खुजालने का
रस बहुत हो विकृति में
दुनिया रची,
लोभ नफ़रत का मसाला तेज़ हो
बिलखते श्रमिक को कोई
पीटता अंगरेज़ हो
अन्याय, शोषण से फँसा,
साहित्य घटिया लिख दिया
आज का यह विश्व उसका
सूत्र है और भाष्य है।

https://sahityakunj.net/entries/view/sahitya-ghatiya-likh-diya

टिप्पणी करे »

अभी तक कोई टिप्पणी नहीं ।

RSS feed for comments on this post. TrackBack URI

टिप्पणी करे