तासे, ढोल बजे,
शहनाई में दिल की बजी घंटियाँ।
धड़कन से दिल के तारों को
कँपना है
गीत राग में
रंग भरा इक सपना है
निखर मेहँदी
और महावर में कैसी सजती दुनियाँ।
ठाटबाट हैं ,
गम दहेज सा अनचाहा
पौरुष का वरदान
उसे है मनचाहा
दिल सम्राट सा
और बड़ा ’समारट’ है मेरा सैंयाँ।
भाव बने
रंगीन बादल आप स्वयं
मन में चली हिलोरें
बनी भरतनाट्यं
शुरू नाच हुआ
अप्सरा के पैरों में हैं पैंजनियाँ।
कोई बचाये
जुदाई के चंगुल से
जोबन बैरी
तार खींचता बाबुल से
आंसू टपटप बहें
बखत बिदाई मिलें गलबहियाँ।
http://www.anhadkriti.com/harihar-jha-dulhan-kaa-sapna