सच कहा है
नियति पर किसी का वश नहीं चलता
इंसान अपना भाग्य नहीं बदलता
पत्ता पत्ता इश्वर की आज्ञा से हिलता है
वह चाहे तो
बेमौसम फूल खिलता है
विधि का विधान
क्या बदलेंगे देवदूत
हाथ की लकिरें हैं
सिमेंट सी मजबूत
भले ही विज्ञान ने
दुनियां की शक्ल बदल डाली
दवाओं ने इंसान की
उम्र बदल डाली
पर बदलने वाले हैं वे जो अभी नासमझ हैं
अक्ल के कच्चे हैं
जो दर्शन और संस्कृति के ज्ञान मे
अभी बच्चे हैं
वे जूझते हैं टकराते हैं
धरती की धूल उड़ा कर
ग्रहों मे पत्थर ढुंढते हैं
चांद के बाद मंगल मे
क्या राशियों का मिलान ढुंढते है?
नादान !
समझ ले किस्मत का लिखा हुआ
किस्मत तेरे हाथ मे धरेगा
भाग्य मे लिखी इसी मंगल को मौत
तो तू मंगल को मरेगा
यह बात अलग
कि किसी टीके के प्रभाव मे
बीस साल बाद
तू बुध को मरा
तो भाग्य की बदलाहट को
जानेगा कैसे ?
बिना पढ़े भाग्य का परिवर्तन
पहचानेगा कैसे ?
कहेगा किस्मत मे था सो हुआ
क्योंकि किस्मत से डरना था
समझेगा बुद्धू यही कि
तुझे बुध को मरना था।
– हरिहर झा
बुद्धू शब्द की व्यतुपत्ति बुद्ध से ही है.. ब्राह्मणों ने बुद्ध का मखौल उड़ाने के लिये मूर्खों को बुद्ध के नाम से पुकारना शुरु कर दिया था..ऐसा मानते हैं कुछ लोग..
कविता आपकी विचार प्रधान है..
विज्ञान की उपलब्धियों पर बहुत भरोसा है आपको.. ? प्रकृति से अभी भी मात खाता है विज्ञान.. मछली समंदर में रहकर समदर पीने का ख्वाब देखती है.. ये भूलकर कि एक बारगी समंदर पी भी गई तो जायेगी कहाँ..?
टिप्पणी द्वारा अभय तिवारी — मार्च 29, 2007 @ 10:00 पूर्वाह्न |
पिछली प्रतिक्रिया में व्यतुपत्ति को व्युत्पत्ति पढ़ें..
टिप्पणी द्वारा अभय तिवारी — मार्च 29, 2007 @ 10:02 पूर्वाह्न |
Dhanyavaad Abhayaji.
Booddhoo shabda ki utpatti ke baare mei shaayad aap thik hi kah rahe hei.
Prachalit dhaarNaa se hat kar kahane vaale Budhdha ke anuyaayeeyoN ko
upahaas kaa saamnaa karnaa padaa hogaa isameN sandeh nahiM.
Mei Buddha va Baiuhddha dharm ko bahut aadar ki drushti se dekhtaa huN.
Rahi baat vigyaan par bharosaa karne ki. Har insaan vigyaan par bharosa
kartaa hei( varnaa bimaar hone par doctor ke paas na baagtaa)
Kis had tak? yah baat alag hei.
HaaN, jab Vigyaan aur Agyaan(99%) me chunaav ki baat aa jaay
to mei Vigyaan ko hi chunuNgaa.
Agyaan poore vishvaas ke saath sab ke uttar detaa hei.
Vigyaan anuttarit hone mei sharam mahsoos nahiM karataa.
टिप्पणी द्वारा Harihar Jha हरिहर झा — मार्च 30, 2007 @ 12:57 पूर्वाह्न |